Basanti Devi परिचय
उनका जन्म 23 मार्च 1880 को हुआ था और 17 साल की उम्र में उनका विवाह उग्र राष्ट्रवादी Chittranjan Das से हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया और 1921 के असहयोग आंदोलन में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वह 1921-22 के दौरान बंगाल कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। अपने पति C.R. Das की मृत्यु के बाद, उन्होंने बैंगलर कथा पत्रिका की देखभाल की। यह वह थी जिसने Lala Lajpat Rai पर ब्रिटिश पुलिस के हमले के बाद भारतीय युवाओं को भारतीय गरिमा पर जोर देने का आह्वान किया था। Netaji Subhas Bose उन्हें ‘दत्तक माता’ मानते थे। 1973 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और 7 मई 1974 को 94 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

आंदोलन में भाग
Basanti Devi भी स्वतंत्रता सेनानी थीं, जब 1917 में Chittranjan Das राजनीति में कूद पड़े तो Basanti Devi ने भी पूरी तरह से उनका साथ दिया। गांधी जी द्वारा आरंभ किए गये ‘असहयोग आंदोलन’ में ये सम्मिलित हुईं। इनके द्वारा लोगों में खादी का प्रचार करने के अभियोग में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इसके बाद ही 1921 में इनके पति और पुत्र भी पकड़ लिये गये। लोगों में खादी के प्रचार के अभियोग में Basanti Devi की गिरफ्तारी का लोगों ने बहुत विरोध किया। देश के अनेक प्रमुख बैरिस्टरों ने भी इसके विरोध में आवाज़ उठाई और मामला वाइसराय तक ले गए। जहां इसके बाद सरकार ने इन्हें रिहा कर दिया।

जेल से बाहर आने पर भी Basanti Devi ने विदेशी शासन का विरोध जारी रखा। ये देश के विभिन्न स्थानों में गईं और लोगों को Chittranjan Das के राजनीतिक विचारों से परिचित कराया। 1922 में Chittranjan Das, Moulana Abul Kalam Azad, Netaji Subhas Bose आदि गिरफ्तार कर लिए गए। Chittranjan Das को चिटगांव राजनीतिक सम्मेलन की अध्यक्षता करनी थीं। परंतु उनकी गिरफ्तारी पर Basanti Devi ने स्वयं इस सम्मेलन की अध्यक्षता की।

मृत्यु
1925 में देशबंधु Chittranjan Das का देहांत हो गया। इसके बाद भी Basanti Devi बराबर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेती रहीं और 1974 में इनका देहांत हो गया।