Biography of Sarla Devi Chaudhari

उनका जन्म 9 सितंबर 1872 को Sarla Ghoshal के रूप में हुआ था, वह Rabindranath Tagore की भतीजी थीं और राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थीं। वह महिला संगठन बनाने वाली पहली भारतीय महिलाओं में से थीं। उन्होंने 1905 में लाहौर से कांग्रेस कार्यकर्ता RambhujDutt Chaudhari से शादी की, जिनकी 1923 में मृत्यु हो गई। वह Mahatma Gandhi के बहुत करीब थीं और उनके इकलौते बेटे Dipak ने Mahatma Gandhi के पोते से शादी की। वह अपने मुकदमे और बाद में फांसी के दौरान Bhagat Singh परिवार के साथ खड़ी रही। 18 अगस्त 1945 को उनकी मृत्यु हो गई, विडंबना यह है कि जिस दिन Netaji Subhas Bose की मृत्यु हुई थी।

Sarla Devi Chaudhari की प्रारंभिक जीवनी

Sarla Devi Chaudhari भारत मे पहली महिला संगठन कि संस्थापक थी | 1910 मे स्थापित इलाहाबाद मे भारत स्त्री महामंडल इस संगठनव्दारे उन्होंने महिला शिक्षा को बढावा देने का कार्य विकसित किया था | इस संगठन ने पूरे भारत मे महिलाओं कि स्थिती मे सुधार लाने के लिए लाहौर, इलाहाबाद, दिल्ली, कराची, अमूतसर हैदराबाद, कानपूर बांकूश, हजारीबाग, मिदनापूर ओर कोलकत्ता मे कई कार्यालय खोले थे |

Sarla Devi Chaudhari का जन्म 9 सितंबर 1972 कोभारत मे कोलकत्ता शहर मे हुआ था |वह एक प्रसिध्दा बंगाली बौध्दिक परिवार मे थी | उनके पिता का नाम जनकीनाा धोषाल था | वह एक बंगाली कॉग्रेस के शूरुवाती सचिव थे | उनकी माता का नाम Swarn Kumari Devi था | वह एक प्रसिध्दा लेखिका थी |

Sarla ने सन 1886 मे उनहेांने अपनी विश्वाविघ्यालय प्रवेश परीक्षा पास कि थी | सन 1890 मे उन्हेांने बेश्यून कॉलेज से अंग्रेजी साहित्या मे बीए कि उपाधि प्रात्पा कि थी | वह उस समय कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनन मे बंगला कि पहिली राजनितिक नेता थी | सन 1905 मे उन्हेांने आर्य समाज के अनूयायी रामभूज दत्ता चौधरी से विवाह किया था |

कार्य

Sarla ने शिक्षक के रुप मे मैसूर कि महारानी गर्ल्स स्कूल मे काम किया है | उसके बाद उन्होंने बंगाल पत्रिका भारती के लिए लीखना शूरु किया था | उसके बाद उन्होंने अपनी राजनितिक गितिविधियाँ शूरु कि थी | सन 1904 मे उन्हेांने महिलाओं व्दारा उत्पादित देशी हस्ताशिल्पा को लोकप्रिया बनाने के लिए कोलकत्ता लक्ष्मण भंउार शुरु किया था |

सन 1910 मे सरला ने  भारत स्त्री महामंडल कि स्थापना कि थी | जिसे कई इतिहासकार महिलाओं के लिए पहला अखिल भारतीय संगठन मानते थे | देश मे कई शाखाओं के साा इसने वर्ग, जाती और धर्म पर विचार किए बिना महिलाओं के लिए शिक्षा और व्यावसायीक प्रशिक्षण को बढावा दिया है |

सन 1924 से 1926 तक उन्होंने भारती का संपादन किया था | सन 1930 मे कोलकत्ता मे उन्हेांने लडकियों के लिए स्कूल शिक्षा सदन कि स्थापना कि थी | सन 1935 मे सविजनकि जीवन से सेवानिवृत्ता हुई और वह धार्मिक, स्पीकार करने के लिए प्रेरित हुई थी |

उपलब्धि पूरस्कर और सम्मान : 

1) सन 2011 मे बनर्जी ने उनकी आत्मकथा को स्कैटरड लीत्सा ऑफ माई लाइफ केा अनूवाद किया गया है |
2) सरला को सर्वक्रहढ महिला छा9 के लिए पघावती स्वर्ण्ं पदक प्रातपा हुआ था |

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